(५) अनेक बार रोग की उग्रावस्था में उपसर्ग-फुफ्फुसपाक, परिफुफ्फुस शोथ, परिह्दय शोथ, पर्युदर शोथ इत्यादि औपसर्गिक रोग उत्पन्न होते हैं.
2.
बच्चों में कुछ वैकारिक जीवाणु तथा परजीवी कृमियों के कारण भी रोग उत्पन्न होते हैं, जिन्हें औपसर्गिक रोग कहते हैं।
3.
बच्चों में कुछ वैकारिक जीवाणु तथा परजीवी कृमियों के कारण भी रोग उत्पन्न होते हैं, जिन्हें औपसर्गिक रोग कहते हैं।
4.
कौमारभृत्य के अंतर्गत कुमार का पोषण, रक्षण, उसकी परिचारिका या धात्री, दुग्ध या आहार जन्य विकार, शारीरिक विकृतियाँ, गृहजन्य बाधा एवं औपसर्गिक रोग तथा आगुंतक रोगों का विवरण एवं चिकित्सा वर्णित हैं।